कहानी ब्रह्मांड की !


प्रदीपदुनिया कब बनी ?कैसे बनी ?-यह एक लम्बी कहानी है ! यह सब -कुछ जानने के लिए सबसे पहले हमे यह जानना होगा कि ब्रह्माण्ड क्या है ?यह कब बना तथा कैसे बना है ?यह पहले किस स्थिति में रहा होगा ?अब यह कहा और क्यों जा रहा है ?और हमारे ब्रह्माण्ड का भविष्य क्या होगा ?
ब्रह्माण्ड के समन्ध में उपरलिखित प्रश्नों का उत् र पाना सदा से ही कठिन रहा है ,जिस प्रकार कोई यह नहीं कह सकता कि पहले मुर्गी आयी या अंडा ?उसी प्रकार कोई यह नही बता सकता की ब्रह्माण्ड का जन्मदाता कौन है ?प्रस्तुत लेख में इन्ही प्रश्नों के उत्तर खोजने की कोशिस की गयी है !
वास्तविकता में ब्रह्मांड के बारे में ऐसे अनेक तथ्य है ,जिनके बारे में विज्ञान को भी बहुत कम जानकारी है !ब्रह्माण्ड के बारे में बहुत कुछ अनुमानों के आधार पर वैज्ञानिको ने अपने मत प्रस्तुत किये है ! रात के समय आकाश की ओर देखे तो दूर-२तक तारे ही तारे दिखाई देते है !दरअसल यही आसमान ब्रह्माण्ड का एक भाग कहा जा सकता है !पूरा ब्रह्माण्ड हमे दिखाई दे ही नही सकता ,इतना असीम की हमारी नज़र उस सम्पूर्ण तक पहुँच ही नही सकती i आकाश में जो तारो के समूह दिखाई देती है ,वे आकाशगंगाए है i
ब्रह्माण्ड कितना विशाल है ,इसकी हम कल्पना भी नही कर सकते ! अरबो-खरबों किलोमीटर चौड़ा मालूम होता है ! ब्रह्मांड की दूरियां इतनी बड़ी होती है कि उन्हें नापने के लिए एक विशेस पैमाना निर्धारित करना पड़ा -लाइट ईयर (light year) ! दरअसल प्रकाश एक सेकेंड में लगभग तीन लाख किलोमीटर की दूरी तय करती है !इसलिए एक लाइट ईयर 94खरब ,60 अरब ,52 करोड़ ,84 लाख ,5हजार किलोमीटर की दूरी तय करेगी !
अब आते है ,ब्रह्माण्ड की सिधान्तो पर -1) सर्वप्रथम 140 ई. में यूनानी खगोलशास्त्री टालेमी ने पूरे विश्व का अध्ययन किया ! और उसने भूकेंद्री सिद्धांत (geocentric theory) दिया ! इस सिद्धांत के अनुसार ,पृथ्वी विश्व के केंद्र में स्थित है और सूरज और बाकि ग्रह इसकी परिक्रमा करते है !
2)सन १५४३ में टालेमी के भूकेंद्री सिद्धांत को गलत सिद्ध किया और सूर्य केंद्री सिद्धांत (heliocentric theory) का प्रतिपादन किया ! इस सिद्धांत के अनुसार ,विश्व के केंद्र में सूरज है न की पृथ्वी और पृथ्वी सहित सभी ग्रह सूर्य की परिक्रमा करते है !
3)जोहान्स केप्लर ने सर्वप्रथम ग्रहों के गति के नियम दिए ! जिनके अनुसार ग्रहों के चारो चक्कर लगाने -वाले ग्रहों का पथ अंडाकार (elliptical) है !
महाविस्फोट (big-bang) से हुआ ब्रह्माण्ड का जन्म !
ब्रह्माण्ड की उत्पति कैसे हुई ?इस प्रश्न के उत् र स्वरुप कुछ वैज्ञनिको की अनोखी मान्यता है (यह ब्रह्माण्ड के उत्त्पति का सबसे ज्यादा माना जाने वाला सिद्धांत है ) इस सिद्धांत का प्रतिपादन जार्ज लेमितरे (georges lemitre) नामक एक खगोलशास्त्री ने किया था !इस सिद्धांत के अनुसार ब्रह्माण्ड एक अकास्मित घटना के कारण अस्तित्व में आया ! सिधान्त के अनुसार ,प्रारम्भिक रूप से एक सेंटीमीटर के आकार की एक अत्यंत ठोस और गर्म गोली थी ! अचानक एक विस्फोट के कारण यह सम्पूर्ण तक विस्फोटित होती चली गई ! यह हमारा ब्रह्माण्ड उसी गोली में निहित था ! इस महाविस्फोट से अत्याधिक गर्मी और सघनता फैलती चली गई! कुछ वैज्ञानिक मानते है ,यह महाविस्फोट 15 अरब साल पहले हुआ था !इसी से सारे मूलभूत कणों(इलेक्ट्रान, प्रोटान, फोटान इत्यादि) ,उर्जा की उत्पत्ति हुई थी !यह मत भी प्रकट किया गया कि मात्र एक सेकेंड के दस लाखवे भाग में इतना बड़ा विस्फोट हुआ और अरबो किलोमीटर तक फैलता चला गया ! उसके बाद से इसका निरन्तर इसका विस्तार होता रहा और इसका विस्तार कहा तक हुआ यह अनुमान लगाना सम्भव नहीं है !आकाशगंगायो का जाल पूरे ब्रह्मांड में सभी जगहों पर फैला हुआ है !और ऐसा अनुमान है कि यह निरंतर बढ़ता ही रहेगा ! जैसे -2 इसका विस्तार होता जाएगा,आकाश गंगाए एक-दूसरे से अलग होती रहेंगी !
एक अन्य सिद्धांत (oscillating or pulsating universe theory) के अनुसार ,यह विश्व करोड़ो साल के अंतराल में फैलता और सिकुड़ता रहेगा ! इस सिधान्त को डॉ० एलेन संडेज ने प्रतिपादित किया है ! उनका कथन है कि आज से लगभग 120 करोड़ साल पहले एक भयंकर विस्फोट हुआ था और तब से विश्व विस्तृत होता जा रहा है! यह प्रसार लगभग 290 करोड़ साल तक चलता रहेगा ! उसके पश्चात इसका संकुचन प्रारम्भ हो जयेगा ,मतलब वह अपने अंदर से सिमट जाएगा ! इस प्रक्रिया को अत:विस्फोट कहते है !
उर्पयुक्त तथ्यों के बारे में निश्चित रूप से यह कह पाना कठिन है ,क्योंकि वैज्ञानिको के” ब्रह्मांड उत्पत्ति “प्रसंग में दिए गए सभी मत ,ज्यदातर अनुमानों और कल्पनाओ पर आधारित है ! अभी बहुत से लोगो को गलतफमी यह है कि हम ब्रह्मांड के बारे में सबकुछ जान गए है ! वास्तविकता यह है कि सैधांतिक शोध के आधार पर ब्रह्मांड में केवल 5 % ही दृश्य पदार्थ है ! 22 % पदार्थ अदृश्य है ,जिसे “डार्क मैटर ” कहा जाता है और 73% डार्क एनर्जी !
आकाश- गंगा (galaxy)
तारो के ऐसे विशाल समूह जो गुरूत्वाकर्षण बल के कारण एक -दूसरे से बंधे हुए हो ,उसे आकाशगंगा कहते है ।आकाशगंगा के ज्यदातर तारे आँखों से दिखाई नही पड़ते है ! आकाशगंगा में तारो(98% ) के आलावा गैस और धूल(2 %)भी होता है !हमारी आकाशगंगा ,जिसमे हमारा सूर्य भी एक सितारे के रूप में मौजूद है ! यह आकाशगंगा दुधिया पथ या “मिल्की वे “कहलाती है !खगोल-वैज्ञनिको का कथन है कि ब्रह्माण्ड में ऐसी अरबो आकाशगंगाए मौजूद है ।
आकाशगंगा तीन प्रकार के होते है -1)सर्पिल (spiral) ,2)दीर्घवृतिय (elliptical),3)और अनियमित (irregular) । अब तक की ज्ञात आकाशगंगायो में 80% सर्पिल ,17% दीर्घवृतिय और 3% अनियमित सरंचनावाले है ।
हमारी आकशगंगा का मध्य भाग उभरा हुआ है और एक नाभिक (nucleus)है । यहाँ पुराने सुर्ख तारे सघनता में है ! मध्यभाग के नाभिक से चार अत्यंत दीर्घ धाराए प्रसारित है ,जो सूर्य के कुंडलियो की तरह दिखाई देते है । इन धाराओ में नए नीले तारे है ,गैस और धूल है ,जिनसे नए सितारे बनते है ! यह वर्तुलाकार छेत्र ढाई-तीन सौ किलोमीटर प्रति सेकेंड की गति से फ़िरकी की तरह की घिरनी खाता रहता है ।

10 विचार “कहानी ब्रह्मांड की !&rdquo पर;

  1. कृपया ध्यान दें! हिन्दी लिखने में ज्यादातर आम बोल-चाल की भाषा का प्रयोग करें! निकृष्ट हिन्दी न लिखें आम लोगों की समझ से ऊपर हो जाएगा ! हिन्दी के शब्दों में भी कहीं-कहीं गलतियां है उन्हे भी कृपया सुधार लें !

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    • वैसे तो मै अंगरेजी माध्यम का विद्यार्थी हु ,मुझे हिंदी में विज्ञान लेखन पसंद है ! इस लेख के शब्दों में जो गलतियां है ,उसे सम्पादित कर दी जाएगी ! और इसमें आम बोल-चाल की भाषा का प्रयोग करने की कोशिस करूंगा !

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  2. विज्ञान विषय पर लिख रहे हो, तो आशीष के टच में रहना, वे काफी समय से लिख रहे हैं, उन्‍हें मदद भी मिलेगी और तुम्‍हें अच्‍छा डायरेक्‍शन। हो सकता है किसी दिन तुम दोनों की जोड़ी और भी बेहतर रचने लगे… 🙂

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